गोपाल नेवार की कविता : “नारी”

“नारी” ***** नारी की जीवन गाथा एक अज़ीब सी है, गुपचुप मौन रहकर बहुत कुछ

श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : ”जुगनू भी अंधेरा दूर करता है”

”जुगनू भी अंधेरा दूर करता है” वक्त ही नहीं बदलता है आदमी भी तो बदलता

अर्चना पांडेय की कविता : “दरबान जी”

“दरबान जी” दरबान जी, दरबान जी, दरबान जी, जहाँ देखो, दिखेंगे ये दरबान जी। बड़े साहब,

…सो पाछे पछताय (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा

“पेड़ जब उखड़ते हैं, तब वे अपनी जड़ों से भी छूट जाते हैं” – ‘दिनकर’

कवि. हीरा लाल मिश्र की कविता : “स्वीकृति”

“स्वीकृति” ********* पश्चिमीकरण की अंधी टाँगे सुरसा के मुख की भाँति विस्तार की सीमा लाँघ

गोपाल नेवार की कविता : “फौजी जवान”

फौजी जवान **** हम देश की धड़कन है हम देश की हलचल है हम कोई

श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : “भाग-दौड़ जीवन के”

भाग-दौड़ जीवन के *भागते* तब भी थे भागते अब भी है कितना बदल गया है

गोपाल नेवार की कविता : “पिता की दुआ”

पिता की दुआ *रहना सुखी ससुराल में बेटी* *लेती जा दुआ मेरी बेटी ।* *भारी

श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : “दिन बचपन के”

“दिन बचपन के” *याद* आते हैं अक्सर वो नादानियां वो शैतानियां बचपने की वो गिरना-पड़ना

श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : “आखिर क्यों जुल्म सितम सहते हो”

“आखिर क्यों जुल्म सितम सहते हो” भई ये क्या गज़ब करते हो तुम सच को