आशा विनय सिंह बैस की कलम से : यक्ष-यक्षिणी
आशा विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। कहते हैं कि यक्ष-यक्षिणी में देवताओं की तरह दैविक
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क्या अंतर है?
आशा विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। जानिए स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने
आशा विनय सिंह बैस की कविता : सच में मेरे राम आने को हैं
।।सच में मेरे राम आने को हैं।। आशा विनय सिंह बैस शिशु तुतलाकर पहली बार
सारे तीरथ बार-बार, गंगा सागर एक बार
आशा विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि महातीर्थ गंगासागर
आशा विनय सिंह बैस की कलम से : भगवान श्री राम
आशा विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। पड़ोसी राज्य हरस्य यानम् (ईश्वर के निवास स्थान) यानि
आशा विनय सिंह बैस की कलम से : राम इस लोक के हृदय में बसते हैं और विश्वव्यापी हैं
आशा विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। राम इस लोक के हृदय में बसते हैं, इसलिए
हिंदू पंचांग का नवां मास अगहन
आशा विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। देवशयनी एकादशी’ से शुरू होकर ‘देवोत्थान एकादशी’ को समाप्त
आशा विनय सिंह बैस की कलम से : आज के समय की रेल यात्रा
आशा विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। एक समय था जब ट्रेन का टिकट लेने के
बैसवारा की कतकी/कार्तिक पूर्णिमा
करवा हैं करवाली, उनके बरहें दिन दिवाली। उसके तेरहें दिन जेठुआन, और फिर चुटिया-पुटिया बांध
बैसवारा का जेठुआन!!
रायबरेली। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को ‘देवउठनी एकादशी’ या ‘हरिप्रबोधिनी एकादशी’ कहते