हिंदी कविताएं

“देश हमारा”

थम सा गया है देश हमारा
जाने किस बीमारी ने है पैर पसारा
घर हमारा,परिवार हमारा,
करना पड़ रहा इनको ही किनारा।
कट सी गई चाहत उनकी भी
जो कहते थे मुझे शहर है प्यारा,
संकट की घड़ी में आज
बना है उनका गांव सहारा
जाने कब घटेंगे कदम पीछे
गम के,
जाने कब खुलेंगे दरवाजे अब खुशी के,
जाने कब होगा फिर सवेरा।
बंद पड़े हैं आज पवित्र स्थल
स्कूल , कॉलेज ,
मंदिर,,और चर्च
प्रभात किरण करता
 है जब – जब
अमा का आंचल बढ़ता है
तब – तब।
दे गया समय भी चेतावनी अब
आज तो चला मै देख मिलता हूं  फिर कब,
थम सा गया है देश हमारा
जाने किस बीमारी ने है पैर पसारा
घर हमारा,परिवार हमारा,
करना पड़ रहा इनसे ही किनारा।
-रिया सिंह  ✍🏻
स्नातक, तृतीय वर्ष, (हिंदी ऑनर्स)

टीएचके जैन कॉलेज

Shrestha Sharad Samman Awards

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