राजीव कुमार झा की कविता : तुमने उसे पुकारा

।।तुमने उसे पुकारा।।
राजीव कुमार झा

तुम प्यार के
मौसम में धूप की
तरह
वसंत की बांहों में
तपती
हरे भरे पेड़ों की
ओट से झांकती
सुबह की किरण हो
ठंड के मौसम के
बाद
दस्तक देती नदी की
धारा
तुमने जिंदगी को
फिर प्यार से संवारा
सबके साथ
खूबसूरत संसार
हमारा
हंसता उछाले भरता
नदी का पानी खारा
भादों की रात में
आकाश से टूटता हो
कोई जिंदगी का तारा
अंधेरे में तुमने उसे
पुकारा

राजीव कुमार झा, कवि/ समीक्षक

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