राजीव कुमार झा की कविता : होली का मौसम

।।होली का मौसम।।
राजीव कुमार झा

शानदार!
बैटिंग करती हुई
इश्क की क्रीज पर
अविजित बनी
तुमने विजेता टीम के
जश्न को देखकर
उस दिन हंस दिया
सबकी निगाहों में
सदा चमकता रहा
तुम्हारे पास आकर
अंतिम गेंद फेंकता
जो बाकी बचा
इश्क के मैदान में
मौसम बदल गया
धूप में हरा-भरा मैदान
चमक रहा
होली का मौसम आया
पैवेलियन में बैठे
बल्लेबाज गीत गाते
तुम्हारे किस्से सुनते
सुनाते
शाम में तुम्हारे साथ
जश्न मनाएंगे
अरी सुंदरी
वे चांद को देखने
समंदर के किनारे
जाएंगे

राजीव कुमार झा, कवि/ समीक्षक

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