डॉ. आर बी दास की कविता : सच्चा सपना

।।सच्चा सपना।।
डॉ. आर बी दास

सपने में अपनी मौत को करीब से देखा…
कफन में लिपटे, तन जलते अपने शरीर को देखा…
खड़े थे लोग हाथ बांधे एक कतार में…
कुछ थे उदास तो कुछ परेशान थे…
पर कुछ छुपा रहे अपनी मुस्कान थे…
दूर खड़ा देख रहा था मैं ये सारा मंजर…
तभी किसी ने हाथ बढ़ा कर मेरा हाथ थाम लिया…
जब देखा उसका चेहरा तो मैं बड़ा हैरान था…
हाथ थामने वाला और कोई नही वो
मेरा भगवान था…
चेहरे पर मुस्कान और नंगे पाव था…
जब देखा मैने उसको जिज्ञासा भरी नजरों से…
तो हंस कर बोला…
“तुम ने हर दिन दो घड़ी जपा मेरा नाम” था…
आज प्यारे उसका कर्ज चुकाने आया हूं…
रो दिया मैंने अपनी बेवकूफियों पर ये सोच कर…
जिसको दो घड़ी जपा वो बचाने आया…
और जिसमे हर घड़ी रमा रहा वो श्मशान पहुंचाने आया…
तभी खुली मेरी आंख मैं बिस्तर पर जमा था…
कितना था नादान मैं
हकीकत से अनजान था…

डॉ. राम बहादुर दास
सलाहकार,
विश्व विद्यालय अनुदान आयोग,(UGC)

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