राजीव कुमार झा की कविता : सबके पास

।।सबके पास।।
राजीव कुमार झा

जिंदगी गम से
सदा दूर होकर कहना
सबके पास
थोड़े दिन अब रहना
कभी कोई
जाने के बाद याद आये
हंसकर
कुछ भी नहीं बताए
सब के पास आकर
तुम तब बिल्कुल
कभी नहीं ठहरना
सिर्फ उससे
प्यार की बातें
तसल्ली की तरह
करना
इसीलिए प्यार की
शाम रोज आती
अपने पास
रोज चुपचुप
इशारों से बुलाती

राजीव कुमार झा, कवि/ समीक्षक

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