राजीव कुमार झा की कविता : चिंगारी

।।चिंगारी।।
राजीव कुमार झा

बागों के बाहर
खामोश नजारा
ढलती रात काली
मतवाली प्यारी
चिंगारी
प्यार की चिठिया
अधूरी
फैल गई मन की
स्याही
चेहरे पर मलकर
सो गए लोग
ठंडी दूध की
मीठी छाली

राजीव कुमार झा, कवि/ समीक्षक

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