।।होली के गीत।।
राजीव कुमार झा

मौसम के झरोखों में
वसंत के बेल बूटे
झाड़फानूस लटकती
प्रेम की लड़ियां
सुबह वसंत की हवा से
लबरेज़
घर आंगन दरवाजे
होली के गीत
सबके घर आंगन में
बहुत दूर से
कोई मन का मीत
सुनाए

राजीव कुमार झा, कवि/ समीक्षक
Shrestha Sharad Samman Awards

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