।।सफर।।
राजीव कुमार झा
सुबह घर के पास
ख्वाहिशों से
तुम दूर होकर आती
मानो चांदनी
मन को जगाती
शाम की दीया बाती
अंधेरे में हवा हंसती
घर के पास आती
सफर में प्यार के
गाने
इयर फोन पर सुनाती
जिंदगी की अधूरी
यादें गुनगुनाती
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