राजीव कुमार झा की कविता : गुमनाम

।।गुमनाम।।
राजीव कुमार झा

रोशन मन से
फूलों के चेहरे
गुमनाम बने
प्यार के सपने
फूलों के पास
महकते
उसके मन में
यादों के पंछी आकर
उड़ते
प्यार में गुमनाम बना
यह जीवन होता
अगर पास में आकर
कोई कहता
फूलों की नादानी
केवल खुशबू बनी
सयानी
मंद हवा मुस्कान
सरीखी
तेज धूप में फूलों की
पंखुड़ियां फीकी

राजीव कुमार झा, कवि/ समीक्षक

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