डॉ. राम बहादुर दास की कविता : सबके हिस्से में नहीं आता

।।सबके हिस्से में नहीं आता।।
डॉ. राम बहादुर दास

“सबके हिस्से में”
ये जमी, ये आसमान,
ये खुशी, ये मुस्कान,
रोटी, कपड़ा और मकान,
सबके हिस्से में नहीं आता।

ये ऐतवार, ये प्यार,
ये आंसू, ये इंतजार,
सकून भरा एक इतवार,
सबके हिस्से में नहीं आता।

ये मंजिल, ये रास्ता,
ये सफर, ये रात, ये शाम, ये शहर,
हाथ पकड़ के चले,
ऐसा हमसफर,
सबके हिस्से में नही आता।

बेशक ये किसी कहानी,
किसी किस्से में नहीं आता,
ये जिंदगी मिलती है,
मगर जीना सभी को
नहीं आता।

डॉ. राम बहादुर दास
सलाहकार,
विश्व विद्यालय अनुदान आयोग,(UGC)

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

16 + eight =