आशा विनय सिंह बैस की कविता : भगवान श्री राम

बचपन मे मां के गोदी लेने पर

पिताजी द्वारा सर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देने पर

बहन द्वारा कलाई में राखी बांधने पर
मित्र के गले लगने पर

गुरुजी के चरणों में झुकने पर

तिरंगे को सैल्यूट करने पर

भारत भूमि की माटी माथे में लगाने पर

जिन भावों की अनुभूति होती है,

आज उन्हीं भावों का विशाल ज्वार मन में उमड़-घुमड़ रहा है।

कुछ घड़ी और शेष, मेरे राम बस आने ही वाले हैं।

(आशा विनय सिंह बैस)

आशा विनय सिंह बैस, लेखिका

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *