डीपी सिंह की कुण्डलिया

कुण्डलिया

दिल्ली ऐसा राज्य है, जैसे कोई नार
उस बेचारी नार के, हैं दो दो भरतार

हैं दो दो भरतार, तभी तो बोलें सीयम
“मालिक हम हैं” देख! समझना हमको मत कम

लेकिन मुश्क़िल वक़्त, बनें वो भीगी बिल्ली
केवल दे कर ऐड, कहैं मेरी है दिल्ली

डीपी सिंह

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