विनय सिंह बैस की कलम से : चंदा मामा पास के!

चंदा मामा! ओ चंदा मामा!!

भूल जाओ न पुरानी बात!
खत्म करो कट्टी!!

हमें पता है कि पिछली बाहर चंद्रयान-2 से रात में 1:02 बजे हम आपसे मिलने की सोचे थे इसलिए आप जरा सा बुरा मान गए थे। क्योंकि इतनी भद्दर रात में आपकी नींद में खलल पड़ा था।

इसलिए इस बार हम बिल्कुल हौले- हौले, प्यार से शाम को 6:04 बजे चंद्रयान-3 से चाय-पानी के समय आपसे मिलने आएंगे ताकि आपको बिल्कुल भी डिस्टर्ब न हो।

मुझे पता है आप बहुत- बहुत अच्छे हो। इस बार आप अब्बा करके हमसे बट्टी कर लोगे और अपने गले से लगा लोगे।

आपका अपना भांजा
(विनय सिंह बैस)
पृथ्वीलोक वासी

विनय सिंह बैस, लेखक

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