डॉ. आर.बी. दास की कलम से

।।दर्द।।
डॉ. आर. बी. दास

कभी साथ बैठिए…
तो कहूं कि दर्द क्या है…
अब यूं ही दूर से पूछोगे…
तो खैरियत ही कहेंगे..!!
मकान के भाव
यूं ही नहीं बढ़ गए
रिश्तों में पड़ी दरारों का
फायदा बिल्डर उठा गए…!!
सुख मेरा कांच सा था
न जाने कितनों को चुभ गया..!!
आईना आज फिर रिश्वत लेता पकड़ा गया,
दिल में दर्द था और चेहरा हंसता हुआ पकड़ा गया,
किसी ने पूछा मुझसे,
पूरी जिंदगी में क्या किया ??
मैने हंसकर जवाब दिया,
किसी के साथ छल
कपट नहीं किया..!!

Dr. R.B. Das
Ph.D (Maths, Hindi) LLB

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