भावनानी के भाव : मां की ममता

।।मां की ममता।।
किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

मां की ममता मिलती है सब को
कोई अछूता नहीं,
कद्र करने की बात है
कोई करता, कोई नहीं।

मां वात्सल्य प्रेमामयी ममता
मिलती हैं सब को कोई अछूता नहीं,
कद्र करने की बात है
कोई करता कोई नहीं।

मां का आंचल अपने सपूतों के लिए
हरदम खुला बंद नहीं,
अपनी तकलीफों दुखों से घिरी
पर ममता की छांव हटाई नहीं।

चार बातें कड़वी भी सुनीं तुम्हारी
पर ममता की छांव हटाई नहीं,
तुमने कद्र भले की हो या नहीं
पर मां ने ममता घटाई नहीं।

हैं ऐसे भी कुछ लोग मां की ममता का
आंकलन करते नहीं,
बस दिखावे में जीतें हैं मां की ममता
का सम्मान करते नहीं।

समझ लो ऐसे लोगों, मां की ममता
नसीब करेगा भगवान भी नहीं,
बस मां की ममता आंचल में समाए रहो
फिर पूजा पाठ की जरूरत नहीं।

मां का वात्सल्य प्रेमामयी ममता
मिलती हैं सब को कोई अछूता नहीं,
कद्र करने की बात है
कोई करता कोई नहीं।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

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