Vishal's best story: "Jeene Ki Wajah"

डॉ. आर.बी. दास की कविता

अब कोई उम्मीद, कोई आस नहीं रखते,
जिंदगी पर भी, कोई विश्वास नहीं रखते।

घटती बढ़ती नहीं, अब धड़कने दिल की,
बेजान जिस्म पे, कोई एहसास नहीं रखते।

ढूंढते नहीं हैं, कोई वजह खुश रहने की,
अब हम कोई तमन्ना कोई प्यास नहीं रखते।

लबों की मुस्कुराहट को भी समझ रखा है,
कि दिल की ख्वाहिश अपने पास नहीं रखते।

दर्द दे जाते हैं अक्सर हमदर्दी जताने वाले,
इसलिए अब हम, खुद को उदास नहीं रखते।

Dr. R.B. Das
Adv. supreme court,
Advisor (UGC)
National Sec.
SC/ST commission

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