डॉ. आर.बी. दास की कविता : कभी-कभी

।।कभी-कभी।।
डॉ. आर.बी. दास

कैसे मैं कहूंगा मुझे थकान नहीं होती,
हां मैं थक जाता हूं,
कभी-कभी,
जब थकने लगते है पैर,
दिनभर चलते-चलते तो,
किसी पेड़ के नीचे बैठ कर रुक जाता हूं,
कभी-कभी,
अपनों के ख्याल सुबह जल्दी उठा देते हैं,
जब दुखने लगे आंख नींद से तो सो लेता हूं,
कभी-कभी,
हंसने के मौके जिंदगी में बहुत कम ही मिले मुझे,
लेकिन बचपन की बातें याद करके
मुस्कुरा लेता हूं,
कभी-कभी,
ना जाने इस भाग दौड़ में कब ये जिंदगी साथ छोड़ दे,
बस यही सोचकर खुद के लिए जी लेता हूं,
कभी-कभी

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