।।बदलना पड़ता है खुद को।।
डॉ. आर.बी. दास की कविता
पहले ऐसा न था जो आज हो गया,
ना जाने वो मासूम सा बच्चा कहां खो गया…
बदल गया आज वो इंसान,
जो होता था कभी बात बात पर परेशान,
जिसका दिल था प्यार भरा,
हरकते थी नादान,
वो अब किसी से प्यार जताता नहीं,
छोटी बड़ी कोई भी बात किसी को बताता नहीं,
हो जाय फिर से वो गहरा लगाव किसी से,
अब मैं कभी ये चाहता नहीं…
प्यार का एहसास दिलाते दिलाते मैं ही मुझसे दूर हो गया…
दिल को बना लूं मैं पत्थर सा,
आज मैं इतना मजबूर हो गया…
लोगों ने मेरी कीमत का कोई मोल ही न रखा,
अपना बोल कर कभी अपने दिल में न रखा…
क्या करता वो बेबस इंसान,
हर चीज भुला कर अपनो से भी बेगाना हो गया,
आज वो इंसान खुद का ही दीवाना हो गया…!!
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