डॉ. आर.बी. दास की कविता : मेरी जिंदगी

।।मेरी जिंदगी।।
डॉ. आर.बी. दास

थोड़ा थक सा जाता हूं अब मैं…
इसलिए, दूर निकालना छोड़ दिया हूं,
पर ऐसा भी नहीं है कि अब…
मैने चलना ही छोड़ दिया है।

फासले अक्सर रिश्तों में…
अजीब सी दूरियां बढ़ा देती है,
पर ऐसा भी नहीं है कि अब मैं…
अपनो से मिलना ही छोड़ दिया है।

हां जरा सा अकेला महसूस करता हूं..
खुद को अपनो की ही भिड़ में,
पर ऐसा भी नहीं है कि अब मैंने…
अपनापन ही छोड़ दिया…।

याद तो करता हूं मैं सभी को…
और परवाह भी करता हूं सबकी,
पर कितनी करता हूं…
ये बताना छोड़ दिया…।।

Dr. R.B. Das
Ph.D (Maths, Hindi) LLB

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