डॉ. आर.बी. दास की कविता

रास्ते पर गति की सीमा है,
बैंक में पैसों को सीमा है,
परीक्षा में समय की सीमा है,
परंतु
हमारी सोच पर कोई सीमा नही है।
इसलिए हमेशा श्रेष्ठ सोचे और श्रेष्ठ पाए…
सांसे किसी का इंतजार नहीं करती !!
चलती है या…चल देती है !!
चिंता इतनी कीजिए
कि काम हो जाय,
पर इतनी नही की जिंदगी तमाम हो जाय,
मालूम सब को है कि जिंदगी बेहाल है,
लोग फिर भी पूछते रहते हैं….
और सुनाओ क्या हाल है..??
लोग कहते हैं ना कि कलयुग चल रहा है,
ये कलयुग नहीं मतलबी युग चल रहा है,
जब तक आप दूसरों के मन के करते रहेंगे,
तब तक आप बहुत अच्छे हैं,
जैसे ही आपने कुछ भी अपने मन की कर ली ना,
तो इस दुनियां में सबसे बुरे आप ही होंगे…!!

Dr. R.B. Das
Ph.D (Maths, Hindi) LLB

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