डीपी सिंह की रचनाएं

मद का कचरा बेच दिया है, मन का कमरा खाली है
और विचारों के दर्पण पर जमी धूल धो डाली है
आँसू-पश्चाताप मिलाकर साफ किया है अन्तस् को
लक्ष्मी मैया घर आना, दीवाली आने वाली है

डीपी सिंह

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