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अर्चना संस्था ने दीपोत्सव की दी शुभकामनाएँ

कोलकाता। अर्चना संस्था की ओर से आयोजित काव्य गोष्ठी में शब्दों के माध्यम से कविताओं और गीतों के द्वारा दीपोत्सव की अग्रिम शुभकामनाएँ दीं। उसके घर भी मने दिवाली; एक साल फिर बीत रहा; वरिष्ठ कवि बनेचंद मालू ने सभी वर्ग के लोगों के कल्याणकारी मंगलमय कामनाएँ की। नौरतनमल भंडारी ने- घना अंधेरा है, दीप जलाओ प्रिये और किसी के नयन से प्यार की बरसात। को याद किया। विद्या भंडारी ने अपनी कविता में इक बूंद भरोसा बचने की कामना करते हुए- कम से कम यह तो हो कि उम्र कट जाए। घर के एक कोने में, इक बूँद भरोसा बच जाए। कविता सुनाई।

हिम्मत चोरडिया ने अक्षरों का ज्ञान दे माँ, वर मुझे दीजिए सरस्वती वंदना द्वारा घनाक्षरी छंद, कुंडलियां कविता सुनाई जिसमें रोशन हर आँगन रहे, स्वच्छ रहे परिवेश की आशा की।
सुशीला चनानी ने मैं एक बुझा दीपक, उपेक्षित पडा हूँ घर के कोने में! और गीत चलो री सखी करें अवधपुरी दर्शन,
रज-कण परस से होगा पावन मन! सुनाया। दीपावली भगवान राम के अयोध्या वापसी की खुशी में मनाई जाती है जिसे गीत में पीरो कर संगीता चौधरी ने अवध में छाई रोशनाई,
बंटती घर-घर आज बधाई।
नभ पे खुशियों के बादल छा गए,
मेरे राम जी अयोध्या वापस आ गए। सुनाया।

सजी है रंगोली दहलीज पर, द्वार पर झूमे बंदनवार- उषा श्राफ ने दीपावली की सजावट को व्यक्त किया। दीप बन जगमग करूं पंक्तियों द्वारा शशि कंकानी ने अंधकार से लड़ने वाले दीप की महिमा बताई। संयोजिका इन्दु चांडक ने हर कवि कवयित्रियों को अपनी पंक्तियों द्वारा आवाज देकर और भी आकर्षक बनाया। इंदू चांडक के गीत शुभकामना, शुभकामना
दीपोत्सव की शुभकामना को बहुत पसंद किया गया।

मृदुला कोठारी ने भारत माता के प्रति अपनी कविता में विचार व्यक्त करते हुए कविता कैसे दीप जलाऊं भारत माता सिसक रही है क्यों कर तेल जलाऊं। सुनाई। वसुंधरा मिश्र ने कविता धूल पोंछ दें कविता ब्लेक बोर्ड पर जमी धूल को पोंछ क्यों नहीं देते? क्यों न एक नए अध्याय की शुरुआत कर देते सुनाई। सभी ने इस कार्यक्रम में अर्चना संस्था के सदस्यों ने दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं दी।

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