डीपी सिंह की रचनाएं

क्यों नहीं सनातन के विरुद्ध यलगार सुनाई देती है,
क्यों नहीं कालिया नागों की फुफकार सुनाई देती है।
हे कृष्ण! धर्म-रक्षार्थ अवतरण का प्रण तुमने लिया कभी,
क्यों नहीं तुम्हें अब गउओं की चीत्कार सुनाई देती है।

डीपी सिंह

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