डीपी सिंह की रचनाएं

।।आओ! भारत बन्द कराएँ।।
 डी पी सिंह

शान्ति, विकास, प्रगति से खेलें, जाति धर्म का जहर उड़ेलें
भारत के उगते सूरज पर, “राहुकाल” का ग्रहण लगाएँ
आओ! भारत बन्द कराएँ

प्रतिपक्षी जब देखो खड़के, बेमतलब सत्ता पर भड़के
गोरिल्लों जैसा हंगामा, कोलाहल पुरज़ोर मचाएँ
आओ! भारत बन्द कराएँ

कैम्ब्रिज के कुछ गुणी प्रबन्धक, संसद रखें बनाकर बन्धक
दमड़ी, दारू, दण्ड दिखाकर, शहरों को लाचार बनाएँ
आओ! भारत बन्द कराएँ

लोग मरें तो मरने भी दें, तोड़ फोड़ अब करने भी दें
पुल, पटरी सब काट पीट कर, चलो रेल की “रेल” बनाएँ
आओ! भारत बन्द कराएँ

टुकड़े कर लें भारत के, माँ दुर्गा को अपशब्द कहें
उनको ले कर देशद्रोह के अमरबेल की पौध लगाएँ
आओ! भारत बन्द कराएँ

पाक चीन से गुपचुप मीटिंग, कोर्ट, मीडिया में है सैटिंग
चोर उचक्कों से घुलमिल कर, भाई-चारा ख़ूब निभाएँ
आओ! भारत बन्द कराएँ

नाम “मुहब्बत की दुकान”, पर स्टॉक जहर का पूरा है
मौक़ा मिलते ही उड़ेल कर हम आका का हुक्म बजाएँ
आओ! भारत बन्द कराएँ

हाथ चिता पर नित्य सेंकना, यही ख़ानदानी पेशा
केरोसीन छिड़क आया, अब चिंगारी को हवा दिखाएँ
आओ! भारत बन्द कराएँ