युवा मंच, साहित्यदिनेश लाल साव की कविता : संघर्ष Posted on May 9, 2020 by admin घनी अंधेरी रातों में उड़ते देखा है जूगनू को, लघु दीप का पुंज लिए उड़ती फिरती रहती वह अंधेरी काली रातों में अल्प प्रकाश बिखेरती छाँट नहीं पाती रात की अंधियारी को पर नहीं रुकता उसका जलना। नहीं रुकता उसका लड़ना ।। -दिनेश लाल साव कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी कोरोना पर सुनिता की कविता : बेबसी और मानवता दुनिया से कोरोना के आंकड़े छिपा रिहा है चीन : पोम्पिओ