डीपी सिंह की रचनाएं…

।।माँ।।

सोच रहा हूँ, खोज करूँ इक ऐसे वाई-फ़ाई की
एसी में जो ठण्डक ला दे सावन के पुरवाई की
डाउनलोडेड रिश्तों में गर्माहट इतनी आ जाये
“मॉम” “मदर” में फीलिंग आये, जैसे “आई” “माई” की

डीपी सिंह

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