कोलकाता। अंग्रेज़ी अख़बार द टेलिग्राफ़ ने आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से दावा किया है कि सितंबर 2018 से सितंबर 2019 के बीच देशभर में 51 हज़ार सरकारी स्कूल बंद हो गए, जो कि कुल स्कूलों का 4.78 फ़ीसदी है। इसी अवधि में निजी स्कूलों की संख्या में 3.6 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ यानी 11 हज़ार 739 नए प्राइवेट स्कूल खुले। शिक्षा विभाग के यूनाइटेड डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडीआईएसई) प्लस रिपोर्ट के अनुसार सरकारी स्कूलों की संख्या साल 2019-20 में 1,083,678 से घटकर 1,032,570 हो गई। ये आंकड़े हर साल सितंबर महीने तक के होते हैं।

बीते सप्ताह जारी हुई 2020-21 के लिए यूडीआईएसई प्लस रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी में भी 521 सरकारी स्कूल बंद हुए हैं।अख़बार ने शिक्षा विशेषज्ञों के हवाले से बताया है कि बंद होने वाले स्कूलों में अधिकतर प्राइमरी स्कूल हैं।हालांकि, इस रिपोर्ट में सरकारी स्कूलों की संख्या घटने के पीछे के कारण के बारे में नहीं बताया गया है।एजुकेशन एक्टिविस्ट्स के हवाले से अख़बार ने लिखा है कि स्थायी शिक्षकों को भर्ती करने में केंद्र और राज्य सरकारों की विफलता, चुनावी ड्यूटी की वजह से पढ़ाई की गुणवत्ता पर असर पड़ता है।

जिसकी वजह से माता-पिता अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं। ऑल इंडिया पेरेंट्स-टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और दिल्ली यूनिवर्सिटी कोर्ट के सदस्य अशोक अग्रवाल कहते हैं, “अधिकतर शिक्षक भी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं। वैसे भी अधिकांश स्कूल रटने को प्रोत्साहित करते हैं और वो ये परवाह नहीं करते कि ऐसी शिक्षा का परिणाम क्या होगा।”

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