डीपी सिंह की रचनाएं…

नैन गड़ाइ न ढूँढ़ि सकै कहुँ अन्धन हाथ बटेर लगावै
दीन मलीन दसा कतहूँ कहुँ रत्न चतुर्दिक ढेर लगावै
भाग मिला जस पाइ रहै नर जानत-मानत देर लगावै
राम बसैं हिय में अपने पर मन्दिर मन्दिर टेर लगावै

–डीपी सिंह

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