डीपी सिंह की रचनाएं

श्याम तन पर विविध रङ्ग – रोली सखी
छवि है मनमोहिनी, कितनी भोली सखी
सीय सखियों से बोलीं, चलो घेर कर
सङ्ग रघुबर के खेलेंगे होली सखी

–डीपी सिंह

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