।।अबकी बारी होली में।।
ख़ूब चकाचक रङ्ग जमेगा, अबकी बारी होली में…
घुला चुनावी नशा नसों के सङ्ग भङ्ग की गोली में
आम बात है, आम बसन्ती मौसम में बौराता है
जाम पिये बिन आम आदमी बौराया है होली में
इस मौसम में कौवों की भी कूक सुनाई देती है
ज़ह्र उगलने वालों के भी शहद टपकता बोली में
खट्टे-मीठे आरोपों की गूँज सुनाई देती है
और कहीं चटखारे होते बातों की बकलोली में
साँप नेवले चूहे मोरों का गठबन्धन आज हुआ
कॉमन मिनिमम प्रोग्राम है, हिस्सा हो घटतोली में
हिरणाकुश – महिषासुर हैं सब असुर एकजुट टोली में
अबकी बारी चिता जलानी है इन सबकी होली में
“प्रह्लाद” बचाए बहुतेरे होलिका दहन में लपटों से
जल रही आज अस्मत भारत की, इसे बचा लो होली में
भारत का सम्मान डाल दें, आओ इसकी झोली में
देशप्रेम से सराबोर हो, दामन-चोली होली में
–डीपी सिंह