नींद आँखों से कहीं पर खो गई है
हम जगे हैं, ख़ुद निगोड़ी सो गई है
आ न जाएँ स्वप्न में प्रियतम, जलन में
नींद भी अब पक्षपाती हो गई है
डीपी सिंह
नींद आँखों से कहीं पर खो गई है
हम जगे हैं, ख़ुद निगोड़ी सो गई है
आ न जाएँ स्वप्न में प्रियतम, जलन में
नींद भी अब पक्षपाती हो गई है
डीपी सिंह