एक रोचक साक्षात्कार युवा कवि अरविंद कुमार भ्रमर से, वरिष्ठ पत्रकार राजीव कुमार झा द्वारा

वाराणसी के युवा कवि अरविंद कुमार भ्रमर के लिए काव्य लेखन महज एक शौक भर नहीं है बल्कि इसे वह अपनी जीवन चेतना की अभिव्यक्ति के तौर पर देखते हैं! प्रस्तुत है, वरिष्ठ पत्रकार राजीव कुमार झा के द्वारा इनका लिया गया एक रोचक और पठनीय साक्षात्कार!

आत्म कथ्य

अरविन्द कुमार भ्रमर, ग्राम जाल्हूपुर (बराहीपुर) वाराणसी, उत्तर प्रदेश
शिक्षा=स्नातकोत्तर हिंदी विषय से उत्तीर्ण, बीएड (बैचलर आफ एजुकेशन) एक वर्षीय कोर्स, एमएसडब्लू (मास्टर ऑफ सोशल वर्क) कोर्स उत्तीर्ण, CCC कंप्यूटर कोर्स बी ग्रेड में उत्तीर्ण। वर्तमान में मैं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगा हुआ हूं। मुझे कविता, कहानी और शायरी लिखने का शौक है और मैं साहित्य से जुड़कर सेवा करना चाहता हूं।

युवा कवि अरविंद कुमार भ्रमर

प्रश्न :- अपने घर, परिवार, बचपन, शिक्षा इन सबके बारे में बताएँ?
उत्तर :- वाराणसी जिले के चिरईगांव ब्लाक के जालौर पुर गांव में एक छोटा सा कस्बा है ब्राहिमपुर, उसी कस्बे में मेरा घर है। परिवार के साथ भाई, बहनों में मैं सबसे छोटा हूं। पिताजी मजदूरी करते थे हमारे माता-पिता अनपढ़ थे, मगर हम आज भी अपने माता पिता पर गर्व करते हैं क्योंकि वह अनपढ़ होते हुए भी हम पांचों भाइयों को उच्च शिक्षा दिलाएं।
शिक्षा में मैंने हिंदी विशेष M.A. किया और B.Ed. के साथ एमएसडब्ल्यू मास्टर सोशल वर्क और कंप्यूटर में मैंने ट्रिपल सी का कोर्स किया हुआ है।

प्रश्न :- आप वाराणसी के कवि हैं! यह धर्म विद्या और अध्यात्म का नगर है! इसकी महान विरासत के बारे में कुछ जानकारी दीजिए!
उत्तर :- वाराणसी बाबा भोलेनाथ की पावन नगरी है। जहां सूरज के निकलने से पहले ही मंत्र जाप और घंटियों की गूंज से सारा शहर भक्ति रस में सराबोर हो जाता है। वही बगल में बौद्ध धर्म की पवित्र स्थली सारनाथ स्थित है, जहां पहुंचने पर लोगों को शांति और सुख की अनुभूति प्रतीत होती है कहते है। ज्ञान प्राप्ति के पश्चात गौतम बुद्ध ने अपने शिष्यों को बौद्ध धर्म की प्रथम शिक्षा यहीं पर दी थी।
यह तुलसी कबीर जैसे महान कवियों की जन्मस्थली है तो दूसरी ओर प्रेमचंद जैसे महान कहानीकार की भी जन्मस्थली है।
शिक्षा के मामले में भी वाराणसी अपने आप में एक अलग स्थान रखता है। क्योंकि वाराणसी ही एकमात्र ऐसा शहर है जहां पर चार-चार विश्वविद्यालय है।

प्रश्न :- यह शहर ज्ञान और ध्यान के भंडार से अभिभूत है, अपने प्रिय लेखकों, कवियों के बारे में बताएँ?
उत्तर :- लेखकों में प्रेमचंद मेरे प्रिय कहानीकारों में से एक हैं, क्योंकि उनकी जो रचनाएं हैं वह समाज के शोषित और दबे कुचले लोगों के क्रांति की आवाज साबित हुई है। समाज में उपस्थित कुरीतियों को उन्होंने जिस तरीके से अपनी कहानी के माध्यम से लोगों को अवगत कराने की उनकी श्रेष्ठता सराहनीय है। उन्होंने जो बातें अपनी कहानियों के माध्यम से लिखी है वह बहुत ही मार्मिक है। आज के समाज में भी एक अमिट छाप छोड़ती है। अन्य कवियों में सुभद्रा कुमारी चौहान की एक रचना “मेरा नया बचपन” की दो पंक्तियां जो मेरे दिल के बहुत करीब है मैं अक्सर बार-बार उन पंक्तियों को दोहराने की कोशिश करता रहता हूं जब भी कभी बैठता हूं, तो उन पंक्तियों को मैं दोहराता जरुर हूं, वह पंक्तियां ये है।
मैं बचपन को बुला रही थी बोल उठी बिटिया मेरी।
नंदनवन सी फूल उठी यह छोटी सी कुटिया मेरी।।

प्रश्न :- आपने कई विषयों में उच्चशिक्षा हासिल की है! भविष्य में देश समाज के प्रति आप किस तरह की सेवा देना चाहते हैं!
उत्तर :- मैं साहित्य के माध्यम से लोगों की सेवा करना चाहता हूं और समाज में व्याप्त कुरीतियों से लोगों को अवगत कराते हुए समाज को मुख्यधारा से जोड़ना चाहता हूं। मैंने एमएसडब्ल्यू कर रखा है तो अगर हो सका तो मैं भविष्य में एक एनजीओ चलाने की कोशिश करूंगा जिससे कि मैं समाज में उन लोगों को शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य और रोजगार दिलाने की कोशिश करूंगा यही मेरा मुख्य उद्देश्य होगा।

प्रश्न :- कविता लेखन के लिए किन-किन बातों को जरूरी मानते हैं?
उत्तर :- कविता लेखन में भाव के साथ-साथ शब्द का सही सामंज्यस होना चाहिए ताकि पाठक कविता का अध्ययन करते समय उनके भावों को शब्दों के माध्यम से बखूबी परिचित हो सकें। जिस रस में आपकी रूचि अच्छी हो और उस रस में आप कविता अच्छी लिख सकते हो तो कोशिश करें कि उसी रसों का प्रयोग करें। अगर अलंकारों का प्रयोग हो तो वह कविता को सुंदरता प्रदान करती है।

प्रश्न :- हिंदी की कुछ कविताएँ जो आपको याद हों उनके बारे में बताइए!
उत्तर :- आई मन भाई हरियाली
चिड़िया चहकी चटकी कलियां
धरती पर इसकी रंग रंगिया
नोक सिरों से फूटी लाली
आई मन भाई हरियाली।
इस कविता के साथ मेरा एक वाकया जुड़ा हुआ है क्योंकि उस समय मैं पांचवी क्लास में था और स्कूल में हर शनिवार को शाम को बाल सभा होती थी और मुझे लोगों के बीच में गाना, पाठ्य कविता सुनाने पड़ते थे और मुझे डर महसूस होता था। डर की वजह से मैं कभी भी बाल सभा में कविता पाठ नहीं करता था। एक दिन ऐसा हुआ कि हमारे शिक्षक थे उन्होंने बोला कि सबको एक कविता सुनानी है और जो कविता पाठ नहीं करेगा उसके परीक्षा परिणाम में नंबर कम कर दिए जाएंगे अब मजबूरी हो गई तो मजबूरी बस मैंने इसी कविता को याद किया और खड़े होकर के बाल सभा में लोगों के बीच प्रस्तुत किया। जब मैं इस कविता को सुना रहा था तो बदन में कंपकंपी महसूस हो रही थी मैं पहली बार लोगों के बीच में खड़ा होकर कविता पाठ कर रहा था। जब मैं अपनी कविता सुना कर आया तब राहत की सांस ली बड़ा अजीब वाक्या था जो मेरे साथ हुआ।

प्रश्न :- लेखन के अलावा अपनी अन्य प्रकार की अभिरुचि के बारे में बताएँ?
उत्तर :- शिक्षा के अलावा सामाजिक कार्य में भी मेरी रुचि रहती है। हम कुछ लोगों ने मिलकर के बहुत सारे प्रोग्राम चलाएं और भविष्य में चलाना चाहते हैं जिनमे लोगों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करना इत्यादि कार्य, जो कुछ असहाय व्यक्ति थे जितना हम लोगों से हो सका हमने उनकी मदद करने की भी कोशिश की है और आगे भी करते रहने की प्रेरणा लेकर हम लोग चल रहे हैं।

प्रश्न :- वाराणसी कबीर और तुलसी की पावन भूमि है, हिंदी के इन दोनों महान कवियों के अवदान के बारे में अपने विचारों को प्रकट करें!
उत्तर :- कबीर भक्ति काल की निर्गुण धारा के प्रतिनिधि कवि थे वे अपनी बातों को साफ एवं दो टूक शब्दों में प्रभावी ढंग से कह देने के हिमायती थे
“बन पड़े तो सीधे-सीधे नहीं तो दरेरा देकर”
इसीलिए कबीर को हजारी प्रसाद द्विवेदी ने वाणी का डिक्टेटर कहा है।
तुलसीदास जी राम भक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि थे। उन्हें समाज का पथ प्रदर्शक कवि कहा जाता है। मानव प्रकृति के जितने रूपों का सजीव चित्रण तुलसीदास ने किया है उतना अन्य किसी कवि ने नहीं किया।

प्रश्न :- साहित्य और समाज के संबंधों के बारे में बताएँ?
उत्तर :- साहित्य और समाज एक ही सिक्के के दो पहलू हैं साहित्य जहां समाज में विलुप्त कुरीतियों को उजागर करने की कोशिश करता है समाज वही साहित्य से प्रेरणा लेकर समाज में विलुप्त कुरीतियों को दूर करने की कोशिश करता है।

प्रश्न :- आज समाज में फेसबुक और सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों से लेखन काफी हो रहा है! साहित्य पर और विशेषकर युवा लेखन पर इसका क्या प्रभाव दिखायी देता है?
उत्तर :- मेरी नजर में फेसबुक और सोशल मीडिया युवा लेखकों के लिए एक अच्छा प्लेटफार्म है। जिसके माध्यम से युवा अपनी लेखनी को लोगों तक आसानी से पहुंचाने में सक्षम हो रहा है।

प्रश्न :- वर्तमान समय और समाज के निरंतर जटिल होते परिवेश में साहित्य का कैसा स्वर आपको प्रासंगिक प्रतीत होता है?
उत्तर :- वर्तमान समय में साहित्य अपना अस्तित्व खोता जा रहा है, क्योंकि इस जटिल परिवेश में लोग भागम भाग में अपने परिवार के प्रति इतने समर्पित हो गए हैं कि साहित्य से जुड़ने का उनके पास समय ही नहीं रहा।

राजीव कुमार झा, कवि/समीक्षक

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