क्या गांधीवाद आज भी प्रासंगिक है??
विनय सिंह बैस, नई दिल्ली । यह बात तो ठीक है कि राजे-रजवाड़ों, नवाबों, रियासतों
विनय सिंह बैस की कलम से…हमारे दो गोई बैल!!
नई दिल्ली । हमारे गांव बरी वाले घर में दो गोई (जोड़ी) यानी कुल चार
विनय सिंह बैस की कलम से…भादों वाला भद्दर प्यार!!
नई दिल्ली । बचपन की बात है। एक बार ऐसे ही झमाझम बारिश हो रही
विनय सिंह बैस की कलम से… टारगेट अचीव!
नई दिल्ली । आजकल निजीकरण का दौर है। इसलिए सबको टारगेट अचीव करना पड़ता है।
आप वही बन जाएंगे जो आप सोच रहे हो : डॉ.विक्रम चौरसिया
नई दिल्ली । अक्सर देखा गया है कि जैसा हम सोचते रहते है, जिन लोगों
क्या हिंदी सिर्फ लड़कियों या पढ़ाई में कमजोर छात्रों की भाषा है??
विनय सिंह बैस, नई दिल्ली : 1984 की बात है। ‘बड़ा पेड़’ गिरने के बाद
मरने से पहले, जीना न छोड़ो…
श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ । वरिष्ठ नागरिक होना मतलब जीवन के ऐसे हिस्से में प्रवेश
क्या नीतीश कुमार स्वयं को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाह रहे हैं? डॉ. विक्रम चौरसिया
नई दिल्ली । हमने फिर से देखा की इस बार फिर से बिहार की सियासत
आदिवासी राष्ट्रपति चुन लिए, लेकिन कब रुकेंगे आदिवासियों, पिछड़ों वंचितो पर अत्याचार?
डॉ. विक्रम चौरसिया, नई दिल्ली । राष्ट्र को पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति के रूप में
विनय सिंह बैस की कलम से… दिल्ली वाला बिहारी!!!
नई दिल्ली । आज दिल्ली में बारिश हुई तो लिट्टी-चोखा खाने का मन किया और