क्या हिंदी सिर्फ लड़कियों या पढ़ाई में कमजोर छात्रों की भाषा है??

विनय सिंह बैस, नई दिल्ली : 1984 की बात है। ‘बड़ा पेड़’ गिरने के बाद धरती हिलकर लगभग शांत हो चुकी थी। मैं पापा के साथ मुंबई घूमने गया था, अपने नाना के घर। चूंकि उन दिनों किसी घर का दामाद पूरे मुहल्ले का जमाई हुआ करता था, अतः नाना के एक रिश्तेदार जो उसी मुहल्ले में रहा करते थे, पापा को और मुझे भोजन के लिए आमंत्रित किया।

उनके घर पहुंचने पर उन्होंने दामाद जी (बैस) कहकर पापा का स्वागत किया और पापा ने “हवलदार भाई साहब” कहकर उनका अभिवादन किया। जिज्ञासावश मैंने पापा से पूछा कि-” क्या ये सेना में हैं??” तो पापा ने बताया कि-” इनका नाम ही ‘हवलदार सिंह’ है। सेना से इनका दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है। ”

यह पहला आश्चर्य था!!
दूसरा यह कि बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि वे हिंदी का ट्यूशन पढ़ाते हैं तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा?? हिंदी का भी कोई ट्यूशन पढ़ता है क्या??
ट्यूशन की बात छोड़ो, हमारे यहाँ तो बड़ी कक्षा के लड़के हिंदी की कक्षा के दौरान गणित के प्रश्न हल करते रहते हैं। हिंदी की किताब तो परीक्षा के एक दिन पहले ही खुलती है और उसके जुड़े, चिपके हुए पेज फाड़े जाते हैं।

पापा ने मेरी जिज्ञासा इस तरह शांत की कि जैसे तुम्हारे लिए मराठी कठिन है, मातृभाषा नहीं है। वैसे ही इन लोगों के लिए हिंदी दुःसाध्य है, अतः यहाँ हिंदी पढ़ाने वालों की खूब मांग है।

हालांकि उस समय मैंने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया था क्योंकि मुझे लगता था कि हिंदी, समाज शास्त्र, गृह विज्ञान आदि लड़कियों या कमजोर छात्रों के विषय होते हैं, अतः मैंने विज्ञान वर्ग ही चुना। किंतु वायुसेना में चयन हो जाने के बाद मुझे बीएससी की पढ़ाई बीच मे ही छोड़नी पड़ी।

वहां जाने के बाद मुझे पता चला कि साहित्य और शिक्षण सेवा के अलावा पत्रकारिता, मीडिया, अनुवाद, राजभाषा कार्यान्वयन, गाइड जैसे अनेक क्षेत्रों में भी हिंदी भाषियों की खूब मांग है। हिंदी केवल हृदय की नहीं बल्कि उदरपूर्ति की भी भाषा हो सकती है। तब मैंने हिंदी से स्नातकोत्तर किया और वायुसेना से सेवानिवृत्त होने के पश्चात एक प्रतिष्ठित संस्थान में हिंदी की सेवा करते हुए सम्मानपूर्ण जीविकोपार्जन कर रहा हूँ।

Vinay Singh
विनय सिंह बैस

#हिंदीदिवस

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *