राजीव कुमार झा की कविता : कितने दिनों तक

।।कितने दिनों तक।।
राजीव कुमार झा

दिल्ली की हवा में
तुम्हारे
प्यार के किस्से गूंजते
रहते
यादों की शहनाई
यहां शाम में
सबके मन को
खुशियों की सौगात
सौंप देती
जिंदगी की हसीन
वादियों में
आकर
धूप की तरह तुम
वसंत के
मौसम के बारे में
सबको
बताती
कितने दिनों तक
ठंड में जकड़ा रहा मन
अपनी यादों से
अकेलापन
मिटाती
सुबह सुहानी किरनों की
तरह
सभी दिशाओं में
मुस्कुराती
सारे लोग देखकर
तुम्हें रूप की रानी
कहा करते

राजीव कुमार झा, कवि/ समीक्षक

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