जो देश में हो वो होने दो ( ग़ज़ल ) : डॉ लोक सेतिया “तनहा”

जो देश में हो वो होने दो

जो देश में हो वो होने दो ,
पहरेदारों को , सोने दो।

कानून उधर काम अपना करे ,
अपराध इधर कुछ होने दो।

लोग उनको झुक के सलाम करें ,
ये नशा भी उनको होने दो।

तब होगा बचाव का काम शुरू ,
घर बाढ़ को और डुबोने दो।

वो कुछ न हकीक़त जान सकें ,
ख्वाबों में उन्हें तो खोने दो।

रहने दो न क़त्ल का कोई निशां ,
उन्हें खून के धब्बे धोने दो।

क्यों फ़िक्र है इतनी जनता की ,
जनता रोती है , रोने दो।

डॉ. लोक सेतिया, स्वतंत्र लेखक और चिंतक

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