कुण्डलिया
गाली दें हिन्दुत्व को, निसि-दिन आठो याम
तिलक लगाकर अब वही, घूमें चारो धाम
घूमें चारो धाम, राम थे सिर्फ़ कहानी
अवध-धाम के नाम, मरी थी जिसकी नानी
जीजा, साला और, भूमि – हर्ता – घरवाली
अब्बू की औलाद, सभी देते थे गाली
— डीपी सिंह
कुण्डलिया
गाली दें हिन्दुत्व को, निसि-दिन आठो याम
तिलक लगाकर अब वही, घूमें चारो धाम
घूमें चारो धाम, राम थे सिर्फ़ कहानी
अवध-धाम के नाम, मरी थी जिसकी नानी
जीजा, साला और, भूमि – हर्ता – घरवाली
अब्बू की औलाद, सभी देते थे गाली
— डीपी सिंह