।।समय भूला नही बस मौन है।।
डॉ. आर.बी. दास
समय भूला नही बस मौन है,
वक्त पर बताता है किसका कौन है।
यह पंक्ति कितना सच कहती है,
हर पल, हर क्षण यह बात कहती है।
मौन सागर में डूबा रहता है वक्त,
फिर अचानक उठकर हो जाता है प्रकट।
मखमली कदमों से चलता है धीरे,
फिर एक झटके में बदल देता है सब।
जो आज महल में है, कल कुटीर में है,
ताकतवरों के रह जाते बाण उनके तूणीर में है,
यह खेल है समय का,
बदलता रहता है सब,
कोई नहीं बचता इससे यह निरंतर है सब।
मित्रता, प्रेम, रिश्ते सब परखे जाते हैं,
समय के कटघरे में सब तौले जाते हैं,
जो सच्चे होते हैं, वे ही टिकते हैं,
झूठे नाते समय के हाथों टूट जाते हैं।
वक्त पर बताता है किसका कौन है।
यह पंक्ति कितना सच कहती है,
हर पल, हर क्षण यह बात कहती है।
मौन सागर में डूबा रहता है वक्त,
फिर अचानक उठकर हो जाता है प्रकट।
मखमली कदमों से चलता है धीरे,
फिर एक झटके में बदल देता है सब।
जो आज महल में है, कल कुटीर में है,
ताकतवरों के रह जाते बाण उनके तूणीर में है,
यह खेल है समय का,
बदलता रहता है सब,
कोई नहीं बचता इससे यह निरंतर है सब।
मित्रता, प्रेम, रिश्ते सब परखे जाते हैं,
समय के कटघरे में सब तौले जाते हैं,
जो सच्चे होते हैं, वे ही टिकते हैं,
झूठे नाते समय के हाथों टूट जाते हैं।
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