।।दोस्त अब थकने लगे है।।
डॉ. आर.बी. दास
किसी का पेट निकल आया हैं,
किसी के बाल पकने लगे हैं,
सब पर भारी जिम्मेदारी है,
सबको छोटी मोटी बीमारी है।
दिनभर जो भागते दौड़ते थे,
वो अब चलते-चलते भी रुकने लगे हैं,
पर ये हकीकत है,
सब दोस्त थकने लगे हैं…
किसी को लोन की फिक्र है,
किसी को हेल्थ टेस्ट का जिक्र है,
फुर्सत की सबको कमी है,
आंखो में अजीब सी नमी हैं,
कल जो प्यार के खत लिखते थे,
आज बीमा के फॉर्म भरने लगे हैं,
पर ये हकीकत है,
सब दोस्त थकने लगे हैं…
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