जलधारा ने राष्ट्रीय बालिका दिवस पर बहाई राष्ट्रीय चेतना की धारा
कोलकाता : जलधारा हिंदी साहित्यिक संस्था (पंजीकृत) की पश्चिम बंगाल इकाई के अंतर्गत दिनांक २४
राष्ट्रीय कवि संगम का कवि सम्मेलन सम्पन्न
आज हावड़ा के शांति विद्यालय में राष्ट्रीय कवि संगम के तत्वाधान में राष्ट्रीय कवि-संगम के
डीपी सिंह की कुण्डलिया
पहले दिन ही था कहा, मोदी ने, प्रण लेउँ ख़ुद भी खाऊँगा नहीं, और न
अर्जुन अज्जू तितौरिया की कविता : रणभूमि
रणभूमि वीरों का रण सजा है रणचंडी के आवाह्न पर, दस-दस पर एक है भारी
डीपी सिंह की कुण्डलिया
चलते हैं सरकार के, बिल पर बिल के बान। रहे विपक्षी बिलबिला, बैठे तम्बू तान।।
प्रमोद तिवारी की कविता – कुरूक्षेत्रः मेरी नजर से (प्रथम भाग)
कुरूक्षेत्रः मेरी नजर से (प्रथम भाग) रण की भेरी बज गई, बर्छियाँ थी तन गई,
“दहेजुआ साइकिल” : (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा
आज ही मेरे कुंवर साहब (एकमात्र पुत्र) एक बेशकीमती ‘रॉयल इन्फिल्ड बुलेट 350’ फटफटिया खरीद
डीपी सिंह की कुण्डलिया
बाहर से आती अगर, कोरोना वैक्सीन। अरबों का होता यहाँ, हेर-फेर का सीन।। हेर-फेर का
डीपी सिंह की कविता : “बेटी”
*बेटी* ===== है कलम व्यग्र इतिहास लिखते हुए बच्चियों की व्यथा, त्रास लिखते हुए वह
कानून के हाथ (व्यंग्य) : श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला
😃 कानून के हाथ 😃 ब्रेकिंग न्यूज : विश्वस्त सूत्रों के हवाले से पता चला
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