चंद्रशेखर आजाद को काव्यांजलि : दर्द देश का देख रहा हूँ वही तुम्हें दिखलाऊँगा

कोलकाता : 27 फरवरी को राष्ट्रीय कवि संगम पश्चिम बंगाल द्वारा भारत माता के सच्चे

“रंग फगुआ के” (भोजपुरी गीत) : हृषिकेश

“रंग फगुआ के” आईल बसन्त मनमीत बाड़े दूर सखी, सवख जगावे पिक-मोर फगुआ के ।

डीपी सिंह की गीत

*गीत* मत घबराओ, दूर अँधेरे होते हैं हर रजनी के बाद सवेरे होते हैं जब

पारो शैवलिनी की गज़ल

गजल दिन ढला, शाम ढली हर तरफ चिराग जले चले भी आओ सनम दिल जले,

भागीरथी यात्रा (कहानी) : श्री राम पुकार शर्मा

पैसठ वर्षीय मुलेसर चाचा अपने घर के बाहर मिट्टी के बने चबूतरे पर बैठे किसी

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कोलकाता के बड़ा बाजार लाइब्रेरी की मासिक साहित्यिक गोष्ठी “अंतरंग काव्य गोष्ठी” सम्पन्न

कोलकाता : पूर्वोत्तर भारत की प्राचीनतम लाइब्रेरी (बड़ा बाजार लाइब्रेरी) के आचार्य विष्णुकांत शास्त्री सभागार

डीपी सिंह की कुण्डलिया

कुण्डलिया लिए कटोरा हाथ में, दर दर भटके पाक। पाप न पीछा छोड़ता, हाथ आ

कुरूक्षेत्रःमेरी नजर से अभिमन्यु सर्ग (द्वितीय भाग) : प्रमोद तिवारी

कुरूक्षेत्रःमेरी नजर से अभिमन्यु सर्ग (द्वितीय भाग) सुभद्रा को खबर हुई, पांचाली भी विकल हुई,

डीपी सिंह की कुण्डलिया

भारत के हर शत्रु की, हर दिक्क़त का केन्द्र। मात्र एक है, केन्द्र में, बैठा

सलकिया हिंदी साहित्य गोष्टी द्वारा आयोजित 72वाँ वसंती कवि सम्मेलन संपन्न

अनु नेवटिया : हावड़ा, सलकिया हिन्दी साहित्य गोष्ठी के तत्वावधान में 21 फरवरी 2021 को