डीपी सिंह की रचनाएं

यह गहन मौन में जो निहित नाद है
आत्म-परमात्म के बीच संवाद है
राम मय हो गई चेतना इस तरह
बाद उसके मुझे कुछ कहाँ याद है

–डीपी सिंह

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