मंदिर-मस्जिद बैर कराते, मेल करती मधुशाला

नई दिल्ली। फागुन का अर्थ है मस्ती, होली का अर्थ है अपने तमाम तनावों, चिंताओं और परेशानियों को एक कोने पर रख कर फाग, भांग और रंगों के सुरूर में डूब जाना। शायद इसीलिए होली पूरे भारतवर्ष का विशेषकर उत्तर भारतीयों का सबसे बड़ा स्ट्रेस बस्टर है।

कहते हैं कि फौज में जवानों को दारू देने की परंपरा इसलिए शुरू हुई ताकि जवान दिन भर की थकान और तनाव को शाम को दो पैग मारकर मिटा सके। अपने सारे गम गलत कर लें। तभी तो दारू फौजियों का आल टाइम फेवरिट स्ट्रेस बस्टर है। खुशी हो या गम, सबसे बेहतर रम।

होली के दिन वायुसेना में स्पेशल बार टाइमिंग होती है। इस दिन मधुशाला सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक अधिकृत रूप से खुली रहती है। मौसम ऐसा सुहावना रहता है कि सर्दी वाली रम, गर्मी वाली बियर या सदाबहार व्हिस्की कुछ भी लिया और पिया जा सकता गया।

वायु सेना में होली ही एक ऐसा त्यौहार है जब लिविंग- इन (मेस) में रहने वाले लड़के भी परिवार के साथ रह रहे अपने सीनियर्स के घर जाते हैं तो तमाम पकवानों के साथ दारू भी उनका स्वागत कर रही होती है।

हालांकि शुरुआत करने वालों के लिए बियर और कभी न पीने वालों हेतु कोल्ड ड्रिंक की व्यवस्था भी रहती है। इस दिन सीनियर-जूनियर, टेक्निकल-नॉन-टेक्निकल, मेकैनिकल-इलेक्ट्रॉनिक्स के भेद दारू के साथ दफा हो जाते हैं।

मुझे लगता है स्वर्गीय हरिवंश राय बच्चन ने अपनी कालजयी कविता –
“मंदिर-मस्जिद बैर कराते,
मेल करती मधुशाला।”
होली के दिन किसी वायुसेना स्टेशन में बैठकर लिखी होगी।

(विनय सिंह बैस)
एयर वेटेरन

विनय सिंह बैस, लेखक

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *