…सो पाछे पछताय (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा

“पेड़ जब उखड़ते हैं, तब वे अपनी जड़ों से भी छूट जाते हैं” – ‘दिनकर’

वह भूल गया है (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा

जिनके त्याग और सतत परिश्रम को चूस कर ही उनके पुत्र स्वाभिमानपूर्वक जीवन जीते हैं,

मिर्जापुर के गोपाल सर के संघर्षों की कहानी, दूसरों की खातिर लुटा रहे जिंदगानी

इरादे अगर नेक हो और कुछ करने का जज्बा हो तो रास्ते निकल ही जाते

जीना इसी का नाम है (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा

अद्भुत जीवट पौधा है यह, जहाँ कोई पल भर भी टिकने के नाम से ही

समय का मोल…!! (कहानी) :– अमितेश कुमार ओझा

कड़ाके की ठंड में झोपड़ी के पास रिक्शे की खड़खड़ाहट से भोला की पत्नी और

गंदी दृष्टि (लघुकथा) :– अदिति कुमारी सिंह

पापा के साथ गई 10 साल की दिव्या को यह पता नहीं की लोगों की

मां ने कहा है बेटा बहु को ले आओ ( कहानी ) : डॉ लोक सेतिया 

चिट्ठी लिखी है मां ने बेटे के नाम। सबसे ऊपर लिखा है राम जी का

खड़गपुरिया चाय, सत्ता के रसगुल्ले और अमर सिंह …!!

तारकेश कुमार ओझा,  खड़गपुर : जिस तरह मुलायम सिंह यादव हैं उसी तरह पहले अमर

चित्रकारी में चैन तलाशती कोलकाता की अनिता कुमारी

तारकेश कुमार ओझा, कोलकाता : पूत के पांव पालने में नजर आते हैं। वहीं बेटियाँ

रेलनगरी खड़गपुर की सांस्कृतिक धरा को सींच रही कीतिका झा

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : आम बोलचाल में लेबर टाउन कहे जाने वाले खड़गपुर में