प्रतिभा जैन की रचना : विदाई
।।विदाई।। बेटी आज पराई हो चली मेरी नन्ही सी कली आज महक छोड़ चली खेल-खेल
प्रतिभा जैन की कविता : साक्षरता
।।साक्षरता।। अपनी बिखरी सी ज़िंदगी साक्षरता की ओर समेट रही हूं कभी किसी पन्ने में
प्रतिभा जैन की कविता : वीर
।।वीर।। ये आंखों ने इशारे करना छोड़ दिया। वीर तुम्हारी भक्ति से अपने को जोड़
प्रतिभा जैन की कविता : दाता एक राम
।।दाता एक राम।। दाता एक राम है दुःख में खूब याद आए हैं सुख में