डीपी सिंह की कुण्डलिया
कुण्डलिया किसके सीने पर लगा, कितना गहरा घाव धर्म लिंग गृह जाति से, तय करते
डीपी सिंह की कुण्डलिया
।।कुण्डलिया।। बिल्ली मौसी के गले, घण्टी बाँधे कौन मीटिंग होती रोज़; पर, चूहे रहते मौन
डीपी सिंह की कुण्डलिया
चमचा चरितम् जग में चमचा नाम का, होता एक चरित्र रहे पात्र के साथ जो,
डीपी सिंह की कुण्डलिया
कुण्डलिया फिर से घर में हों वही, एक-नेक परिवार सुगठित स्वस्थ समाज से, जुड़ें सभी
डीपी सिंह की कुण्डलिया
कुण्डलिया 1 जनवरी – कैसा नया साल? मध्य दिसम्बर से शुरू, होय मास “खरमास” रहैं
डीपी सिंह की कुण्डलिया
कुण्डलिया बोली इक दिन डोर से, आकर तङ्ग पतङ्ग उड़ना है खुलकर मुझे, छोड़ो मेरा