डीपी सिंह की कुण्डलिया

चमचा चरितम्

जग में चमचा नाम का, होता एक चरित्र
रहे पात्र के साथ जो, बनकर उसका मित्र

बनकर उसका मित्र, निकटता का दम भरता
धीरे धीरे किन्तु, उसी को खाली करता

भीतर तक है पैठ, ऐंठ भी इसकी रग में
करे और ही हाथ, इसे सञ्चालित जग में
डीपी सिंह

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