डीपी सिंह की रचनाएं
दो कोल्हू के पाट हैं, इक ईडी इक जेल आयेगा बाज़ार में, जल्द नवाबी तेल
श्याम कुँवर भारती की कविता : ‘अपना वतन चाहिए’
हिन्दी गीत – ।।अपना वतन चाहिए।। श्याम कुँवर भारती न शोहरत न दौलत मुझे अपना
डीपी सिंह की रचनाएं
।।सिक्के का दूसरा पहलू।। झूठ के गीत दुनिया में गाये गये सत्य के पथ में
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर हिन्दी के साथ कवियों ने क्षेत्रीय भाषा का परचम लहराया
कविता में जो ताकत होती है वह भाषण में नही होती है : जगदीश मित्तल
रामा श्रीनिवास ‘राज’ की कविता : “क्या स्वतंत्र है”
।।क्या स्वतंत्र है।। रामा श्रीनिवास ‘राज’ क्या स्वतंत्र है खुली हवा में कहीं गया अभ्यास
सुधीर सिंह की कविता
लूट लेता है सब कुछ शहर लौट के कुछ नही आता है अजीबो सा है
डीपी सिंह की रचनाएं
।।चुनावी मधुशाला।। लॉबी पाँच सितारा वाली, कमरा है एसी वाला बैठे गोरी चमड़ी वाले, दिल
डीपी सिंह की कुण्डलिया
पीएम पद पर बँट गया, सैंतालिस में देश दिल्ली के मालिक करें, वही नमूना पेश
डीपी सिंह की रचनाएं
न्याय व्यवस्था देश की, बिल्कुल ही है भिन्न तय उत्तर पहले करें, तदनुसार हल भिन्न
भोजपुरी होली – करे ले ठिठोली रे कान्हा
भोजपुरी होली – करे ले ठिठोली रे कान्हा करेले ठीठोली रे कान्हा कदमिया पर चढ़ी